स्कॉलरशिप घोटाला: राज्यपाल ने अनुसूचित जाति के छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं देने पर मांगी विस्तृत रिपोर्ट
स्कॉलरशिप घोटाला: राज्यपाल ने अनुसूचित जाति के छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं देने पर मांगी विस्तृत रिप
मुखयमंत्री भगवंत मान को राज्यपाल ने लिखा पत्र
चंडीगढ़, 21 जुलाई (साजन शर्मा): पंजाब सरकार द्वारा कॉलेजों को छात्रवृत्ति का भुगतान न करने के कारण दो लाख से अधिक एससी छात्रों को कॉलेज छोडऩे के लिए मजबूर करने के मामले की रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए, पंजाब के राज्यपाल और प्रशासक (यूटी) बनवारीलाल पुरोहित ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखकर इस मामले पर जल्द से जल्द विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। पत्र में कहा गया है कि यदि यह सही है, तो यह अनुसूचित जाति के छात्रों के संवैधानिक अधिकारों का सबसे निंदनीय उल्लंघन होगा और उनके साथ गंभीर अन्याय होगा।
पंजाब में कांग्रेस सरकार की सत्ता जाते ही राज्य के सामाजिक न्याय विभाग ने एससी पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत धन के वितरण से संबंधित करोड़ों के घोटाले में प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। यह घोटाला 2019 में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में पूर्व सामाजिक न्याय मंत्री साधु सिंह धर्मसोत के कार्यकाल के दौरान सामने आया था। घोटाला सामने आने के बाद, तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव (सामाजिक न्याय) किरपा शंकर सरोज ने 24 अगस्त, 2020 को मुख्य सचिव विनी महाजन को सौंपी एक रिपोर्ट में घोटाले में शामिल लोगों को बचाने में धर्मसोत की भूमिका पर सवाल उठाया था। हालांकि, महाजन के नेतृत्व वाली टीम की दूसरी जांच ने मंत्री को क्लीन चिट दे दी, जबकि सरोज को विभाग से हटा दिया गया। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पहले से ही इस घोटाले की जांच कर रही है। उल्लेखनीय है कि सामाजिक न्याय विभाग ने नौ शैक्षणिक संस्थानों को गलत तरीके से 16.91 करोड़ रुपये जारी किये जिस पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई थी। विभाग के एक उप निदेशक की भूमिका, जिसे कथित तौर पर पूर्व मंत्री का संरक्षण प्राप्त था, सवालों के घेरे में है। उनके अलावा विभाग के पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी अवैध रूप से धन के वितरण में शामिल होने के आरोप में कार्रवाई शुरू की गई।
55.71 करोड़ के घोटाले का था आरोप
सरोज ने अपनी रिपोर्ट में अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति के वितरण में 55.71 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया था। खुलासा किया गया था कि लगभग 39 करोड़ रुपये घोस्ट संस्थानों (जो है ही नहीं) को वितरित किए गए थे और 16.91 करोड़ रुपये निजी संस्थानों को गलत तरीके से वितरित किए गए थे। हालांकि, दूसरी समिति ने निष्कर्ष निकाला था कि 39 करोड़ रुपये घोस्ट खातों में नहीं गए।
हाईकोर्ट ने भी मांगी थी रिपोर्ट
हाईकोर्ट ने भी मामले में रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट में केंद्र ने अपना जवाब दायर कर बताया कि यह स्कीम केंद्र सरकार की है, जिसमें राज्य सरकार अपना हिस्सा डालती है। केंद्र ने इस स्कीम के तहत 17 सितंबर तक अपना पूरा हिस्सा दे दिया है। मामले में केंद्र ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी थी लेकिन केंद्र को रिपोर्ट नहीं दी गई। केंद्र ने मामले की जांच के लिए दो संयुक्त सचिव अधिकारियों की कमेटी गठित कर जांच शुरू करवाई थी।
क्या था मामला
चंडीगढ़ के सतबीर सिंह वालिया ने एक जनहित याचिका में हाईकोर्ट को बताया कि पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप के जरिये केंद्र अनुसचित जाति, पिछड़े वर्ग आदि के होनहार छात्रों को स्कॉलरशिप जारी करती है। यह राशि राज्य सरकार के जरिये जारी की जाती है। केंद्र ने इसके लिए मार्च 2019 में तीन किस्तों में 303.92 करोड़ रुपये जारी किए थे। गत वर्ष 18 दिसंबर की ट्रेजरी एक्सपेंडिचर रिपोर्ट के अनुसार विभाग 248.11 करोड़ निकलवा चुका था और खाते में 55.81 करोड़ बचे थे, जिसे बाद में 2015-16 और 2016-17 के छात्रों के मेंटेनेंस अलाउंस के नाम पर निकाला गया, जो 248.11 करोड़ निकले गए थे, उनमें से ट्रेजरी विभाग को काफी मशक्कत के बाद भी 39 करोड़ की पेमेंट्स को फाइल या दस्तावेज मिला ही नहीं। यह राशि कई संस्थानों को जारी की गई।